सुप्रभात कार्तिकसुप्रभात कार्तिक बताओ यहाँ कैसे आया
गर्मियों के दिन थे। लोग गर्मी से बचने के लिए अपने घरों में दुबके बैठे थे। पक्षियों ने घने पेड़ों पर शरण ली हुई थी। टिड्डा भी झाड़ियों के बीच छिपा बैठा था, पर एक चींटी गर्म दोपहरी में भी अपने लिए भोजन इकट्ठा कर रही थी। टिड्डा चींटी का मजाक उड़ाते हुए बोला, “इतनी तेज धूप में भी तुम चैन से बैठने की बजाय खाना इकट्ठा कर रही हो, जैसे कि अकाल पड़ने वाला हो।आराम से किसी ठंडी जगह पर बैठो और मौज-मस्ती करो। ” चींटी बोली, “मेरे पास मौज-मस्ती करने के लिए बिलकुल भी समय नहीं है। सर्दियाँ आने वाली हैं और मुझे ढेर सारा भोजन इकट्ठा करना है।” टिड्डे को जवाब देकर चींटी फिर अपने काम में जुट गई। गर्मियों के बाद कड़ाके की सर्दी पड़ी। चारों ओर बर्फ ही बर्फ थी। टिड्डे को बहुत जोर की भूख लगी थी, पर उसे कहीं कुछ खाने को नहीं मिल रहा था। अंत में वह चोटी के घर गया और उससे कुछ खाने को मांगा। चींटी बोली, “जब मैं भोजन इकट्ठा कर रही थी तब तुम मेरा मजाक उड़ा रहे थे। अब जाओ यहाँ से, तुम्हें देने को मेरे पास कुछ नहीं है।
यहाँ कैसे आना हुआ
वास्तव में मुझे अपने गृह कार्य के एक प्रश्न में आपकी सहायता की आवश्यकता थी
गुड मॉर्निंग सिद्ध
मुझे खुद से एक कहानी लिखनी है और हमारे क्लास टीचर ने google का इस्तेमाल न करने को कहा है