अनु , प्राचीन काल में भारत में विशाल वन क्षत्र हुआ करते थे । आज मैं तुम्हें मौर्य काल में वनों के स्तिथि बताती हूँ ।
दादी; ये वन कितना घना हैं न ?प्राचीन काल में भी ऐसे ही वन होता था क्या ।
दादी ने बताया की - विभिन्न काल में वनों का बहुत महत्व रहा हैं । जैसे मौर्य काल में वनों को धर्म - अध्ययन के लिए किया जाता था । विभिन्न अवसरों पर वन के देवी देवताओ की पूजा की जाती थी ।
दादी आगे बताती हैं की : पहले वन पूरे हरे भरे रहते थे और ढेर सारे जानवर जंगल में स्वचन्द होकर जंगल में घूम करते थे राजाओ द्वारा शिकार के लिए वनों को आरक्षितः किया जाता था । आम लोगों को भी वनों में शिकार करने की छूट थी।
दादी आगे बताती हैं की : पहले लोग बहुत ज्यादा मात्र में पेड़ लगाते थे । पहले जन संख्या कम होने और कल कारखानों के कम होने के कारण पेड़ों को कम काट जाता था जिसे की वन गहने ही रहते थे ।
आज के युग में मनुष्य वनों को काटता जा रहा है। अपनी जरूरतों को पूरा करने हेतु ,बड़ी बड़ी इमारतें ,कारखाने बनाने के कारण प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है ,जिसके परिणाम में प्रदूषण,गोबल वारमींग ऐवम सूखा पादन आदि समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। सांस संबंधी बीमारियाँ भी वनों को काटने का ही दुसपरिणाम है क्योंकि हमें ताजी हवा नहीं मिल पा रही है।
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