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Text z Príbehu

  • महाभारत युद्ध के बाद बीते हजारों वर्षों में 75 वर्ष की उम्र के बाद मैने युद्ध के लिए तलवार उठाई ,ऐसा सिर्फ एक ही उदाहरण है वह है बिहार के भोजपुर जिले के जगदीशपुर के राजा वीरवर कुँवर सिंह पंवार ।मैने 80 वर्ष की आयू में अंग्रेजों के विरुद्ध बिगुल बजाकर ,संघर्ष का नेतृत्व कर इतिहास के पन्नों में ऐसा स्वर्णिम पृष्ठ जोड़ा है ,जिसकी तुलना नहीं की जासकती है ।इतिहास के इस महान क्रांति नायक बिहार का शेर मैने सिद्ध कर दिया कि शेर और राजपूत कभी वृद्ध (बूढ़े )नहीं होते किन्तु ऐसा लगता है कि हर कहावत को चरितार्थ होने सदियों लग जाते है।जिन लोगों ने कहावतों को चरितार्थ कियाहै ,उन्हें अंगुलियों पर गिना जा सकता है । मैने (1777-1858)विदेशी शासन के खिलाफ लोगों द्वारा छेड़े गए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857-58)के नायकों में से एक था ।1857के विद्रोह के दौरान इस मैने ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों से डट कर मुकावला किया । मैं जगदीशपुर ,निकट आरा ,जो वर्तमान में भोजपुर का एक भाग है ,के राजपूत घराने के जमींदार था।भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने ब्रिटिश सेना के खिलाफ सशस्त्र बलौ के एक दल का कुशल नेतृत्व किया ।80 वर्षकी व्रद्ध अवस्था का मैं , मेरा नाम ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों में भय उत्पन्न कर देता था ।मैने कई स्थानों परब्रटिश सेना को कड़ी चुनौती दी ।
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