एक कक्षा में टीना नामक की एक लड़की पढ़ती थी। वह बहुत मेहनती और पड़ने की शौक़ीन थी। कक्षा में दो दूसरे बच्चे जिनका नाम- राहुल और रीना था, टीना को पसंद नहीं करते थे।
एक दिन अध्यापिका जी ने टीना से पूछा की उसके माता-पिता पैरेंट टीचर मीटिंग मैं क्यों नहीं आए ।
टीना कक्षा में हमेंशा प्रथम आती थी और जब अध्यापिका जी कक्षा में नहीं होती थी, तब भी टीना पढ़ती रहती थी।
रीना और राहुल टीना का मज़ाक बनाते थे। टीना को यह सब सुनकर बोहुत बुरा लगता था।
मैं हूँ टीना । पढ़ने के आलावा मुझे कुछ करना नहीं आता । इसलिए मैं सुबहे -शाम पढ़ती रहती हूँ ।
टीना तुम्हारे माता-पिता पैरेंट टीचर मीटिंग में क्यों नहीं आ पाए ?
वो इसलिए क्योंकि मेरी माँ बहुत बीमार है और मेरे पिता उनके लिए दवाई खरीदने गए थे।
सीख: हमें कभी लोगों के बारे मैं बिना जाने कुछ नहीं सोचना चाहिए, क्योंकि हमें नहीं पता की वो इंसान उसी समय क्या सह रहा हो।
टीना हमें अपने गलती का एहसास हो गया हैं ।
यह सुनकर रीना और राहुल को उनके गलती का एहसास हो गया।
मेरे पिता के पास नौकरी भी नहीं है। हम बड़े मुश्किल से घर चला रहे हैं। मुझे चाहिए की उन्हें मेरे पर गर्व हो और बड़े होकर मुझे उनका ख्याल रखना हैं, इसलिए में पढ़ती रहती हूँ ।
हमें माफ़ कर दो। हम कभी बी वापस तुम्हारा मज़ाक नहीं बनाएँगे।
हम तुम्हारे साथ हर दिन बात करेंग। तुम्हें कभी अकेला नहीं लगने देंगे।
हाँ, तुम फ़िक्र नहीं करो। हम तुम्हारे साथ हैं।
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