साधु के आश्रम में रहकर राजकुमार विद्या पढ़ने लगा। वर्ष पूरे होने पर राजकुमार ने घर जाने की आज्ञा मांगी। साधु ने राजकुमार से कुछ मांगने को कहा।
तुम तीन बातों का सदा ध्यान रखना। १ रास्ते में अकेले मत चलना ,किसी -न -किसी को अपना साथी बनाना। २ किसी के दिए हुए आसन पर बिना जाँच -पड़ताल किए नहीं बैठना। ३ किसी अपरिचित मनुष्य द्वारा दिए खाने को पहले किसी जानवर को खिलाकर तब खाना।
मुझे ज्ञान दीजिए
मुझे ज्ञान दीजिए|
राजकुमार ने देखा कि एक चील एक नेवले को लेकर उड़ गई। राजकुमार ने चील को पत्थर मारा और चील ने नेवले को छोड़ दिया। राजकुमार ने साधु के उपदेश को याद करते हुए नेवले को अपनी झोली में डाला और अपना साथी बनाया।
उस पेड़ की जड़ में साँप था। ज्यों ही साँप ने राजकुमार के पैर के अंगूठे में काटने का प्रयत्न किया त्यों ही नेवला उस पर झपटा और लड़ने लगा। सांप घायल हो कर बिल में चला गया। राजकुमार की आँख खुली और वह नेवले का धन्यवाद् करने के पश्चात्। वह आगे चल पड़े |
गॉंव के चौधरी अर्थात ठग राजकुमार को सोने के लिए बिस्तर देते हैं।
साधु के दूसरे उपदेश को याद करते हुए राजकुमार बिस्तर की जाँच करते हैं और उसके नीचे कुआ पाते हैं। यह देख वह नीचे सो जाते हैं।
ठग राज द्वारा भोजन परोसा जाता हैं राजकुमार तीसरे उपदेश का पालन करते हुए पूजा के बहाने एक बिल्ली को खिला देते हैं. कुछ समय पश्चात् वह बिल्ली का दिहंत हो जाता हैं।
Utworzono ponad 30 milionów scenorysów
Bez Pobierania, bez Karty Kredytowej i bez Logowania, aby Spróbować!