किसी तालाब में एक कछुआ रहता था। तालाब के पास माँद में रहने वाली एक लोमड़ी से उसकी दोस्ती हो गई। एक दिन वे तालाब के किनारे गपशप कर रहे थे कि एक तेंदुआ वहाँ आया। दोनों अपने-अपने घर की ओर जान बचाकर भागे।
ठीक है, अभी देख लेता हूँ!
तेंदुए जी, कछुए के खोल को तोड़ने का मैं आसान तरीका बताती हूँ। इसे पानी में फेंक दो। थोड़ी देर में पानी से इसका खोल नरम हो जाएगा। चाहो तो आज़माकर देख लो !
लोमड़ी तो सरपट दौड़कर अपनी माँद में पहुँच गई पर कछुआ अपनी धीमी चाल के कारण तालाब तक नहीं पहुँच सका। तेंदुआ एक छलाँग में उस तक पहुँच गयाकछुए को कहीं छुपने का भी मौका न मिला।
तेंदुए ने कछुए को मुँह में पकड़ा और उसे खाने के लिए एक पेड़ के नीचे चला गया लेकिन दाँतों और नाखूनों का पूरा ज़ोर लगाने पर भी कछुए के सख्त खोल पर खरोंच तक नहीं आई। लोमड़ी अपनी माँद से यह देख रही थी। उसने कछु को बचाने की तरकीब सोची।
और इस तरह कहानी समाप्त होती है
और भोलेपन के साथ बोली- तेंदुए जी, कछुए के खोल को तोड़ने का मैं आसान तरीका बताती हूँ। इसे पानी में फेंक दो। थोड़ी देर में पानी से इसका खोल नरम हो जाएगा। चाहो तो आज़माकर देख लो ! तेंदुए ने कहा- ठीक है, अभी देख लेता हूँ!यह कहकर उसने कछुए को पानी में फेंक दिया।