ठगराज की छोटी पुत्री आगे बढ़कर अपने भाई से मिली। कहने लगी, देखो भैया, यह राजकुमार मुझे बाँधकर ले आया है। तुम्हें देख डर के मारे पेड़ पर चढ़ गया है। भाई, तुम पेड़ पर चढ़कर इसे पकड़ लो, कहीं भाग न जाए।
ठगराज का पुत्र अपनी बहन की बातों में आ गया। वह ऊँटनी से उतरकर पेड़ पर जा चढ़ा। इधर ठगराज की पुत्री ने कटार मारकर साठ कोस चलने वाली ऊँटनी का एक पैर घायल कर दिया। फिर वह कूदकर सौ कोस वाली ऊँटनी पर सवार हो गई। राजकुमार इस डाली से उस डाली पर भागता फिरता था और ठग उसका पीछा कर रहा था।
इतने में ठगराज की बेटी बोली, “भैया-भैया! देखो, राजकुमार डाली से कूदना चाहता है। यह सुनते ही राजकुमार झट से उस ऊँटनी पर कूद पड़ा, जिस पर ठग की पुत्री बैठी थी। राजकुमार और उगराज की छोटी बेटी दोनों सौ कोस चलने वाली ऊँटनी को भगाकर ले गए। उग जब तक पेड़ से नीचे उतरता तब तक वे काफी दूर निकल गए थे। उसने सोचा, 'सौ कोस चलने वाली ऊँटनी तो वे ले गए हैं, दूसरी ऊँटनी पर इनका पीछा करता हूँ।' जब दूसरी ऊँटनी के पास गया, तो उसने माथा पीट लिया, वह ऊँटनी लँगड़ी हो चुकी थी।
उस ऊँटनी पर कूद पड़ा, जिस पर ठग की पुत्री बैठी थी। राजकुमार और उगराज की छोटी बेटी दोनों सौ कोस चलने वाली ऊँटनी को भगाकर ले गए। उग जब तक पेड़ से नीचे उतरता तब तक वे काफी दूर निकल गए थे। उसने सोचा, 'सौ कोस चलने वाली ऊँटनी तो वे ले गए हैं, दूसरी ऊँटनी पर इनका पीछा करता हूँ।'