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साधू के तीन उपदेश

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साधू के तीन उपदेश
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  • उसने राजकुमार से जाकर कहा, “यहाँ तुम्हारी जान खतरे में है। तुम बचकर नहीं जा सकते। मैं तुम्हारी जान बचा दूँगी, अगर तुम मेरे साथ विवाह करने का वचन दो ।" राजकुमार को बहुत चिंता हुई। वह सोचने लगा, 'ओह ! ठगों के चंगुल में आ फँसा हूँ।' अपनी जान बचाने के लिए उसने ठगराज की छोटी लड़की को विवाह का वचन दे दिया।
  • १. यहाँ तुम्हारी जान खतरे में है। तुम बचकर नहीं जा सकते। मैं तुम्हारी जान बचा दूँगी, अगर तुम मेरे साथ विवाह करने का वचन दो ।
  • २. रात बारह बजे तक तुम पर मेरी बड़ी बहन का पहरा रहेगा। तुम उससे किसी प्रकार अपनी रक्षा कर लेना। उसकी मीठी-मीठी बातों में न आना। बारह बजे के बाद मेरा पहरा है। जब मैं आऊँगी तो तुम्हें यहाँ से बचाकर निकलने का उपाय बतला दूँगी।
  • राजकुमार कई दिन से चलता रहा था, इसलिए बहुत थक चुका था। पलंग पर लेटते ही उसे नींद आ गई। ठगराज की बड़ी लड़की जब पहरा देने आई, तो उसने राजकुमार को सोते पाया।
  • उसने उसके दोनों हाथ और पाँव रस्सी के साथ बाँध दिए और फिर वह कटार खींचकर उसकी छाती पर जा चढ़ी। राजकुमार ने हड़बड़ाकर आँखें खोलीं, तो सारी बात उसकी समझ में आ गई। वह पछताने लगा कि क्यों सोया ! ठग की छोटी लड़की की बात मानता तो ऐसी दशा न होती। ठग की बड़ी बेटी ने कहा, "यदि तुम अपनी जान बचाना चाहते हो, तो चुपके से जाँघ से चार लाल निकालकर मेरे हवाले कर दो, नहीं तो यह कटार अभी तुम्हारे पेट में भोंकती हूँ।" राजकुमार बोला, “सुन ठगराज की बेटी, यदि तू मुझे मार डालेगी, तो उसी तरह पछताना पड़ेगा, जैसे चिड़ीमार बाज को मारकर पछताया था।" ठगराज की बेटी ने आश्चर्य से पूछा, "सो कैसे? चिड़ीमार बाज को मारकर क्यों पछताया था ?" राजकुमार ने कहा, "पहले तुम मेरे हाथ-पाँव खोल दो, कंटार को म्यान में रख लो, अच्छी तरह से नीचे होकर बैठ जाओ, फिर मैं तुम्हें बाज कहानी सुनाता हूँ।"
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