मेरी किस्मत ! हिंदूबेग! तुम जानते हो , मैं मेवाड़ की बहुत इज़्ज़त करता हूँ और हरएक बहादुर आदमी को करनी चाहिए , वहाँ की मिटटी भी मेथे पर लगाने की चीज़ है
स्वर्गीय महाराणा संग्राम सिंह जी की महारानी कर्णावती ने आपको यह भेंट भेजी है।
दुश्मन ?! ह ह ह ! आँखों पर से वहम का चश्मा हटके देखिए। जिन्हे हम दुश्मन समझते हैं , वे सब हमारे भाई हैं। हम एक ही कोड़े के बंदे हैं , हाँ देखूँ तो इससे क्या लिखा है !
आओ , मेवाड़ के बहादुर !
दुश्मन की तारीफ करने में जहापनाह से बढ़कर ....
उसी औरत ने, जिसके पति ने कसम खाई थी की मुगलों को हिंदीस्थान से बहार खदेड़े बागौर चित्तौड़ में कदम न रखोगे
क्या सपना देखने लोग जहाँपनाह? महारानी कर्णावती ने क्या जादू का पिटारा भेजा है ?
सचमुच हिंदुबेग , उन्होंने जड़ों का पिटारा ही भेजी है। मेरे सोने आसमान में उन्होंने मोहब्बत का चाँद चमकाया है। उन्होंने मुझे राखी भेजी है , मुझे अपना भाई बनाया है। बहन कर्णावती से कहना हुमायूँ तुम्हारी माँ के पेट से पैदा नहीं हुआ थो की हुआ , वह तुम्हारी सगे भाई से बढ़कर है। कह देना , मेवाड़ की इज़्ज़त हमारी इज़्ज़ाद है , जाओ !
मैं दुनिया को बैठा देना चाहता हूं कि हिंदुओं के रस्मो -रिवाज़ मुस्लिमानो के लिए भी उठने ही प्यार हैं। हम हर कीमत पर उनकी हिफाज़त करेंगे।
आपको अब्बाजान के जानी दुश्मन की औरत ने.....
तो क्या जहाँपनाह ने उनकी प्रार्थना मंजूर कर ली है ?