Suche
  • Suche
  • Meine Storyboards

Unknown Story

Erstellen Sie ein Storyboard
Kopieren Sie dieses Storyboard
Unknown Story
Storyboard That

Erstellen Sie Ihr eigenes Storyboard

Probieren Sie es kostenlos aus!

Erstellen Sie Ihr eigenes Storyboard

Probieren Sie es kostenlos aus!

Storyboard-Text

  • देवव्रत ने देखा की उसके पिता के मन मैं कोई-न-कोई व्यथा समाई हुई है। एक दिन उसने शांतनु से पुछा- "पिता जी,संसार का कोई भी सुख ऐसा नहीं है, जो आपको प्राप्त न हो, फिर भी इधर कुछ दिनों से आप दुखी दिखाई दे रहे हैं। आपको किस बात की चिंता है ?'' यद्दपि शांतनु ने गोलमाल बातें बताई, फिर भी कुशाग्र-बुद्धि देवव्रत को बात समझते देर न लगी। उन्होंने राजा के सारथि से पूछताछ करके, उस दिन केवटराज से यमुना नदी के किनारे जो कुछ बातें हुई थी, उनका पता लगा लिया। पिता जी के मन की व्यथा जानकर देवव्रत सीधे केवटराज के पास गए और उनसे कहा की वह अपनी पुत्री सत्यवती का विवाह महाराज शांतनु से कर दें।केवटराज ने वही शर्त दोहराई, जो उन्होंने शांतनु के सामने राखी थी। देवव्रत ने कहा- ''यदि तुम्हारी आपत्ति का कारण यही है, तो मैं वचन देता हूँ की मैं राज्य का लोभ नहीं करूँगा। सत्यवती का पुत्र ही मेरे पिता के बाद राजा बनेगा।''केवटराज इससे संतुष्ट न होए। उन्होंने और दूर की सोची। बोले- '' आर्यपुत्र इस बात का मुझे पूरा भरोसा है की आप अपने वचन पर अटल रहेंगे, किंतु आपकी संतान से मैं वैसी आशा कैसे रख सकता हूँ ? आप जैसे वीर का पुत्र भी तो वीर ही होगा। बहुत संभव है की वह मेरे नाती से राज्य छीनने का प्रयत्न करे। इसके लिए आपके पास क्या उत्तर है?''केवटराज का प्रश्न अप्रत्याशित था। उसे संतुष्ट करने का यही अर्थ हो सकता था की देवव्रत अपने भविष्य का भी बलिदान कर दें, किन्तु पितृभक्त देवव्रत इससे ज़रा भी विचिलित नही हुए। गंभीर स्वर में उनहोंने यह कहा- '' मैं जीवनभर विवाह ही नहीं करूँगा ! आजन्म ब्रह्मचारी रहूँगा ! मेरे संतान ही न होगी ! अब तो तुम संतुष्ट हो?'
Über 30 Millionen erstellte Storyboards