2. राजपूत बहादुरी से लड़ रहे है किंतु एक तो हमारा संख्या बहुत कम है, दुसरे शुत्रुओं का तोपखाना आग उगल रहा है। उसके मुकाबले तलवारो से तो हो नहीं सकता। हमे मरना है। हम हॅसते-हॅसते मरेंगे और बहुतो को मरकर, पर दुख है तो यही कि मरकर भी मेवाड़ है मान की रक्षा न कर पाएग।
5. यह इतना आसान नहीं, क्या हुमायू पुराना वैर भूल सकेंगे? सीकरी के युद्ध के जख्मो के निशान क्या आसानी से मिट सकेंगे?
1. हां बाघ सिंह जी, युद्ध का क्या हल है?
5. हमारी राखी वह शीतल दवा है जो सारे घाव भर देगी। यह वह वरदान है जो सारे वैरभावो को जलाकर भस्म कर देती है। राखी पाने के बाद कोई वैर-विरोध यद् रख सकता है भला !
3. मेरे पास एक सुझाव है। में हुमायू को राखी भेजूँगी।
4. हुमायू को ! क्या एक मुसलमान को अपना भाई बनओगी ?
7. ऐसा न कहो ! हमारी तरह अब भारत उनकी भी जन्मभूमि हो चुकी है। अब ऊंकला काफिला बनाकर उन्हे वापस अरब नहीं भेजा जा सकता। उन्हे रहना पड़ेगा और हमे रखना होगा। वे हमे बहन समझे और हम उन्हे भाई, यही उचित है। इस मुसीबत के समय मेवाड़ की रक्षा का और उपाय क्या ही है ? बाघ सिंह जी, आप ही कुछ बताए। आपकी क्या समाती है?
8. हम तो आज्ञापालन करना जानते है, सम्मुति देना नही।
राखी का मूल्य - पहला दृश्य
6. पर वे हमारे शत्रु है।
अच्छा तो फिर वही हो, भाईचारे और मनुष्यता पर विश्वास करके हुमायू की परीक्षा ली जाए। लीजिए, यह राखी और पात्र, आज ही दूत के साथ बादशाह हुमायू के पास भेजि।
अछि बात ह। हम भी देखेंगे की कौन कितने पानी में है। इसी बहाने उनकी मनुषक्ता की परीक्षा हो जाएगी और यह भी प्रकट हो जाएगा की एक राजपूतानी।